जो बातें कभी जाहिर नहीं होती
खामोशियाँ जिक्र कर जाती हैं
लिहाज का क्या कहें
लफ्जों के लिबास नहीं होते
काफिले चलते रहते हैं
कारवां जाता है गुजर
क्या खोया क्या पाया
रिश्तों में हिसाब नहीं होते
परछाइयां धुँधली हैं
पर खोया चेहरा ढूँढ़ते रहते हैं
आईने पे सायों की जमी हैं परतें
अधूरे ख्वाब कभी पूरे नहीं होते
हवाएं न जाने कहाँ उड़ा ले जाती हैं
परिंदे परेशां नहीं होते
ऊंचे आकाश में छुपी है समंदर की गहराई
ख्यालों के कभी दायरे नहीं होते
बनावटी बातें जो हैं …उनसे
कभी कभी नमी का अंदेशा तो होता है
पर लफ्जों की धोकेबाज़ी से
दिलों के रेगिस्तान हरे नहीं होते
बेगानों में अपनों को खोजते हैं
और दूरियों में नजदीकियां
दहलीज पे खड़ी ज़िन्दगी देती है दस्तक
धड़कनों के दरमियाँ फासले नहीं होते
ख्वाइशों की हसरतों से हैरत क्यूँ ,
फितरत को जब हरकतों से फुर्सत नहीं
उधार की ज़िन्दगी से नाराज क्यूँ
हमराज अक्सर हमसफ़र नहीं होते
क्या इंसानियत के चर्चे
क्या हैवानियत के किस्से
शख़्शियत के कई अंदाज हैं ये
हासियों में बंटी ज़िन्दगी के मायने नहीं होते
Pic : Amanda APS
बेहद खूबसूरती से लिखा गया है❤️
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Many thanks Preeya
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